सोमवार, 3 अगस्त 2020

योगासन, महत्व और योग करने के तरीके

सोर्स गूगल
आज योग और योगासन को लेकर दुनिया जितनी जागरूक है, उतनी कभी नहीं रही। इसके कई कारण हैं। एक तो यह कि बाबा रामदेव सहित तमाम योग गुरुओं ने भारत की इस महान देन को दुनिया भर में फैलाया, इसके लाभों से लोगों को परिचित कराया। दूसरे यह कि प्रधानमंत्री मोदी ने  योग पर विशेष जोर दिया। इसका नतीजा यह रहा कि दुनिया ने योग दिवस तक मनाना शुरू कर दिया। आज यही योग कोरोना महामारी से बचाव और उपचार में भी बहुत बड़ा योगदान दे रहा है। कोरोना संक्रमित योग के सहारे न केवल कोरोना से लड़ने की शक्ति प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों की अपेक्षा में जल्दी स्वस्थ भी हो रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर योग या योगासन क्या है।

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योग क्या है

500ई.पू में एक बहुत ही प्रसिद्ध मुनि हुए, जिनका नाम पाणिनी था। उन्होंने अष्टाध्यायी नामक प्रसिद्ध व्याकरण ग्रंथ की रचना की। उन्होंने युजिर् योगे ,युज समाधो तथा युज् संयमने इन तीन धातुओं से योग शब्द की व्युत्पत्ति मानी है। योग का सामान्य अर्थ है जोड़ना, मिलाना, मेल इत्यादि। अब इन शब्दों पर ध्यानपूर्वक गौर करें तो जीवात्मा और परमात्मा का मिलन योग कहलाता है। जब जीवात्मा और परमात्मा का मिलन होता है तो इंसान समाधि की अवस्था में पहुंच जाता है। इसी संयोग की अवस्था को समाधि कहा  जाता है। इस अवस्था में जीवात्मा और परमात्मा एकाकार हो जाते हैं। योग को लेकर महर्षि  पतंजलि ने भी काफी बातें बताई हैं। महर्षि पतंजलि ने योग शब्द की व्याख्या समाधि के अर्थ में ही की है। वह कहते हैं योगष्चित्तवृत्तिनिरोध: यो.सू.1/2। इसका अर्थ है चित्त की वृत्तियों का निरोध करना ही योग है। चित्त का तात्पर्य, अन्त:करण से है। जो इन सारी बातों का गूढ़ अर्थ समझ लेता है वह योग के महत्व को भी भली भांति समझ जाता है।

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84 लाख आसन 

योग में आसन का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। मान्यता है कि सृष्टि में 84 लाख योनियां हैं। सभी का अपना एक आसन है। इसलिए माना जाता है कि 84 लाख आसन अस्तित्व में हैं। इसी लिए तमाम आसनों को हम विभिन्न जीव-जंतुओं के नाम से भी जानते हैं। आसन का मतलब है  मन को शांत करके शरीर को सुखमय स्थिति में रखना। इसी को यदि दूसरे शब्दों में कहें तो बिना कष्ट के सुख पूर्वक एक ही मुद्रा में अधिक से अधिक समय तक रहना ही आसन है।  यदि इन आसनों का अभ्यास करें तो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तन-मन से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

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आसन के प्रकार
आसन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं
1. गतिशील आसन

कुछ आसन गतिशील होकर संपन्न किए जाते हैं। इन्हें गतिशील आसन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में गतिशील आसन वे आसन हैं जिनमें शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है। यह बहुत ही कठिन होता है। लेकिन इसे अति संयम और धैर्य पूर्वक किया जाए तो इसे आसानी से किया जा सकता है।

स्थिर आसन

कुछ ऐसे आसन होते हैं, जिस स्थिर या बहुत कम गति के साथ किया जाता है, जिसे स्थिर आसन कहा जाता है। ऐसे आसनों का अभ्यास करते वक्त स्थिति के समय और सीमा को धीरे धीरे बढाया जाता है।

योगासनों के लाभ

इस भ्रम को मन से निकाल देना चाहिए कि सभी आसन सभी रोगों के लिए लाभप्रद हो सकता है। हर आसन अलग अलग तरह से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। क्योंकि अलग अलग आसन शरीर के विभिन्न हिस्सों पर प्रभाव डालते हैं। इसलिए यदि इनका पूरा लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि योगासनों का अभ्यास किसी प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही अभ्यास करें। यदि पूरे मनोयोग से किए जाएं तो योगासनों के निम्न लाभ हैं। -

- योगासन शरीर को स्फूर्तिवान और स्वस्थ रखता है। योगासन से इम्यूनिटी बढ़ती है और शरीर को रोगो से लड़ने की शक्ति, रोगो से बचाव , कार्य करने की क्षमता मे विकास। आत्मचिंतन करने मे शक्ति मिलती है। धैर्य, संयम, साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

- योगासन से शरीर मे रक्त संचार सुचारू रूप से होता है। इससे तमाम बीमारियां स्वतः ही दूर रहती हैं। रक्त का संचार सुचारू हो जाने से तमाम रोग दूर हो जाते हैं।

- योगासन से शरीर न केवल गतिशील, स्फूर्तिवान, क्रियाशील और लचीला बनता है, बल्कि स्टेमिना भी बढ़ता है।

- योगासन करने से शुद्ध वायु फेफड़ों तक पहुंचती है, जो जीवन शक्ति बढाती है।

-योगासन से स्वास्थ में लाभ, मानसिक शक्ति, शारीरिक शक्ति, शरीर की टूट फूट से रक्षा, शरीर का शुद्धिकरण कर तमाम बीमारियों से बचाता है।

-योग के माध्मय से शरीर के वजन में कमी लाई जा सकती है। साथ ही नियमित रूप से योगाभ्यास इतनी समझ देता हैं कि हमे किस प्रकार का भोजन कब करना चाहिए? इतना ही नहीं यह वजन पर नियंत्रण रखने में सहायता प्रदान करता हैं।

-यूं तो हम दिन में कुछ मिनट ही योगाभ्यास करते हैं, लेकिन यह योग दिन भर की चिंताओं से मुक्ति प्रदान करता हैं। यह न केवल शारीरिक अपितु मानसिक चिंताओं से भी मुक्ति दिलाता है। 

-मानवीय प्रवृति और प्रकृति के वशीभूत होकर हम शांतिपूर्ण, सुन्दर एवं प्राकृतिक स्थानों पर घूमना पसंद करते हैं। लेकिन योग से हम वास्तव में यह महसूस करने लगते हैं कि यह शांति हमारे अंदर हैं। योग और ध्यान से चिंता से भरे मन को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका हैं। 

-आसन करते समय मांसपेशियों को तानने, सिकोडऩे और ऐंठने वाली क्रियाएं करनी पड़ती हैं। साथ ही तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियाएं भी होती रहती हैं। ऐसा होने से शरीर की थकान मिटती है। जिससे आसनों से व्यय शक्ति वापस मिल जाती है। मतलब यह है कि शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की प्रतिपूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना एक अलग ही महत्व है।

-. योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है।

 - योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति और सुचारु रूप से सफाई होती रहती है। पाचन अंग भी पुष्ट होते हैं। इस कारण, पाचन-संस्थान में गड़बडिय़ां उत्पन्न नहीं होने पातीं। योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं। इतना ही नहं, योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला व्यक्ति भी तंदरुस्त हो जाता है। योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास, सुघड़ता और गति, सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।

- नियमित योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है। साथ ही धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। आगे बढ़ने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं एवं आत्म-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं। योगासन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ और बलिष्ठ बनाए रखते हैं। योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है।   

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