सोमवार, 6 अप्रैल 2020

भोजन करने के बाद करें ये आसन, रहेंगे तंदुरस्त

सोर्स :गूगल इमेजेज

हमारी बदलती जीवनशैली के साथ साथ हमारा खानपान भी बदलता जा रहा है। हम तंदुरस्त रहने की चाहे जितना भी सोचें, हमारा असंतुलित और अनियमित खानपान तंदुरस्त रहने के हमारे सारे समीकरण बिगाड़ देता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हमारा भोजन कैसा हो, जो हमारी तंदुरस्ती को बरकरार रखे। या फिर भोजन के बाद ऐसा क्या करें जो भोजन को सही ढंग से पचने में मदद करे और हम जीवन में तंदुरस्त बने रहें। योगाचार्यों का कहना है कि जीवन में योगासन शामिल करना बहुत लाभदायक है। बहुत से ऐसे आसन हैं जो भोजन के बाद किए जा सकते हैं और ये हमें तंदुरस्त रखने में मदद करते हैं। ऐसे ही आसनों में एक आसन है- वज्र आसन। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है- वज्र आसन का अर्थ होता है कठोर। वैसे इंद्र के एक शस्त्र का नाम वज्र था। यह संस्कृत के शब्द ‘वज्रसे बना है, जिसका अर्थ है आकाश में गरजने वाली बिजली। इसे डायमंड पोज भी कहते हैं। इस आसन से पैरों की जांघें मजबूत होती हैं। साथ ही शरीर में रक्त संचार बढ़ता है और यह आसन पाचन क्रिया के लिए यह बहुत लाभदायक भी होता है। भोजन के बाद इसी आसन में कुछ देर बैठना चाहिए। यह टांगों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है। लेकिन ध्यान रखें, घुटनों में दर्द होने की स्थिति में यह आसन न करें।

वज्र आसन के लाभ

वज्र आसन से शरीर मजबूत और स्थिर बनता है। इस आसन से रीढ़ की हड्डी और कंधे सीधे होते हैं। रीढ़ की हड्डी और कंधे सीधे होने के मतलब तमाम परेशानियों से मुक्त होना। इससे शरीर में रक्त-संचार समरस होता है। शिरा के रक्त को धमनी के रक्त में बदलने का रोग नहीं हो पाता। योगाचार्यों का कहना है कि यही एकमात्र ऐसा आसन है जिसे आप खाना खाकर भी कर सकते हैं। इससे भोजन आसानी से पचता है। यह शरीर को सुडौल बनाने में मदद करता है। हाई ब्लड प्रेशर कम होता है। वजन कम करने में काफी मददगार होता है। साथ ही अपच,  गैस,  कब्ज इत्यादि विकारों को दूर करने में भी बहुत सहायक है। यह आसन महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता दूर करता है। रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। पाचन शक्ति बढ़ाता है और प्रजनन प्रणाली को सशक्त बनाता है। इस आसन में धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लेने से फेफड़े मजबूत होते हैं।

ऐसे करें वज्र आसन

वज्र आसन करने का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है। यह घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाने वाला आसन है। इस योगासन में बैठकर प्राणायाम, कपालभाति व अनुलोम-विलोम किया जा सकता है।  वज्रासन करने का तरीका घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। इस दौरान दोनों पैरों के अंगूठों को साथ में मिलाएं और एड़ियों को अलग रखें। अब अपने नितंबों को एड़ियों पर टिकाएं। अब हथेलियां को घुटनों पर रख दें। साथ ही इस दौरान अपनी पीठ और सिर को सीधा रखें। दोनों घुटनों को आपस में मिलाकर रखें। अब आंखें बंद कर लें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस अवस्था में आप पांच से 10 मिनट तक बैठने की कोशिश करें।

वज्र आसन में सावधानी

वज्र आसन करने वालों को कुछ सावधान रखनी चाहिए। जिन लोगों के घुटनों में कोई समस्या है या हाल ही में घुटने की सर्जरी हुई है,  उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाएं इस आसन को करते हुए अपने घुटनों में थोड़ा अंतर बनाकर रखें, ताकि पेट पर दबाव न पड़े। ध्यान रखें इस आसन को अगर गर्भवती महिलाएं करना चाहती हैं, तो उन्हें यह सावधानी रखनी है कि पेट पर दबाव किसी भी हाल में न पड़े। जिन्हें रीढ़ की हड्डी में किसी तरह की समस्या है, उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए। अगर रीढ़ के जोड़ में कोई परेशानी है, तो वज्र आसन के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। इसके अलावा जो लोग हर्निया, आंतों के अल्सर और छोटी बड़ी आंतों में किसी तरह की समस्या से पीड़ित हैं,  उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें