शनिवार, 28 मार्च 2020

कोरोना वायरस की माइक्रोस्कोपिक इमेज (Microscopic Image) भारतीय वैज्ञानिकों ने की जारी

सोर्स : गूगल इमेजेज

कोरोना वायरस आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए चुनौती बना हुआ है। इसकी दवाई ढूंढ़ना तो दूर, अभी तक यह नहीं पता था यह होता कैसा है।
लेकिन यह भी उतना ही सच है कि चिकित्सा विज्ञानी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे हैं, बल्कि कोरोना वायरस की काट ढूंढ़ने के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं। पूरी दुनिया के अधिकांश चिकित्सा विज्ञानी इस कार्य में जुट गए हैं। अपने अपने ढंग से न केवल इसका अध्ययन कर रहे हैं, बल्कि इसके सटीक इलाज के लिए वैक्सीन ईजाद करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। चिकित्सक इसके काफी करीब तक पहुंच चुके हैं। इस मामले में भारतीय वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी है। भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की माइक्रोस्कोपिक इमेजिंग कर ली है। इसका पूरा ब्योरा इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित भी हुआ है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) के वैज्ञानिकों ने पहली बार नए कोरोना वायरस (सार्स-कॉव-2) की तस्वीरें (इमेज) उजागर की हैं। ये इमेज ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (टेम) इमेजिंग का इस्तेमाल करके ली गई हैं। इन्हें इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइजेएमआर) के ताजा संस्करण में प्रकाशित किया गया है।
यह तस्वीर भारत की कोविड-19 की पहली पुष्ट महिला मरीज के गले से लिए गए सैंपल से ली गई है। मरीज में यह मामला केरल में 30 जनवरी को रिपोर्ट हुआ था। यह महिला उन तीन छात्रों में शामिल थी जो चीन के वुहान शहर में मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे थे। केरल के इन नमूनों की जीन सिक्वेंसिंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) में की गई थी। इसमें पता चला था कि भारत में मिला यह वायरस चीन के वुहान शहर में मिले वायरस से 99.98 फीसद मेल खाता है। आइजेएमआर में उपरोक्त लेख आइसीएमआर-एनआइवी नेशनल इंफ्लूएंजा सेंटर की टीम ने लिखा है। इसके लेखकों में एनआइवी के उपनिदेशक और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी एंड पैथोलॉजी के प्रमुख अतनु बसु भी शामिल हैं। लेख के मुताबिक, एक वायरस पार्टिकिल काफी अच्छी तरह संरक्षित था जिसमें कोरोना वायरस के बेहद विशिष्ट लक्षण दिखाई दे रहे थे। इसका आकार 75 नैनोमीटर का था।

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